थकान ;जीतने का उत्साह |

थकान ;जीतने का उत्साह |

थकान

थक सा गया हूँ ,रुक सा गया हूँ |

एक पहर पे आकर ,डट सा गया हूँ |

भूल हो जाती है ,हर बार कुछ करने पे |

अब लगता है ,जैसे डर सा गया हु |

कोशिशे की लाख बढने की ,बार बार |

परे कोशीशो से ,हारता गया हर बार |

मुश्किल लगने लगा दौर है ,राहे जिन्दगी में |

रुक रुक कर, अब सहम सा गया हूँ|

गलती क्या !हुई आगे ,बड़ने में मुझे |

पता करने को जिसे, थमने लगा हूँ |

सपने तमाम है ,जीवन में मेरे …सबसे अलग |

पूरा करने की निरंतर रहती है, ललक |

क्यों मजबूर हूँ आज ……बेबस|

कल फिर, एक बार ,उठ जाउंगा |

जीवन की थकान से परे ,आगे बढ जाउंगा |

हर बार गिरा ,हर बार उठा हूँ |

ठोकर खा खाकर भी ,हर बार लड़ा हूँ |

जिद्दी हूँ ,अपने सपनो की खातिर |

आखिरी पल तक, जीवन में डट जाउंगा |

में पंछी नहीं ,पीछे हटने वाला |

तेज तुफानो से डरने वाला |

में कतरा हूँ ,बहती धारा का कलकल |

खुद ब खुद रास्ता बनाऊँगा |

लाख मुश्किलें आयेंगी ,बदलते दौर में मुझे |

हिम्मत रखकर, फिर दिखलाऊँगा |

एक दिन आयेगा ,जमाने में बेशक|

जीत हासिल कर करके ,इतिहास बनाऊँगा |

……………………………….इतिहास बनाऊँगा|

-प्रेम

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