
थक सा गया हूँ ,रुक सा गया हूँ |
एक पहर पे आकर ,डट सा गया हूँ |
भूल हो जाती है ,हर बार कुछ करने पे |
अब लगता है ,जैसे डर सा गया हु |
कोशिशे की लाख बढने की ,बार बार |
परे कोशीशो से ,हारता गया हर बार |
मुश्किल लगने लगा दौर है ,राहे जिन्दगी में |
रुक रुक कर, अब सहम सा गया हूँ|
गलती क्या !हुई आगे ,बड़ने में मुझे |
पता करने को जिसे, थमने लगा हूँ |
सपने तमाम है ,जीवन में मेरे …सबसे अलग |
पूरा करने की निरंतर रहती है, ललक |
क्यों मजबूर हूँ आज ……बेबस|
कल फिर, एक बार ,उठ जाउंगा |
जीवन की थकान से परे ,आगे बढ जाउंगा |
हर बार गिरा ,हर बार उठा हूँ |
ठोकर खा खाकर भी ,हर बार लड़ा हूँ |
जिद्दी हूँ ,अपने सपनो की खातिर |
आखिरी पल तक, जीवन में डट जाउंगा |
में पंछी नहीं ,पीछे हटने वाला |
तेज तुफानो से डरने वाला |
में कतरा हूँ ,बहती धारा का कलकल |
खुद ब खुद रास्ता बनाऊँगा |
लाख मुश्किलें आयेंगी ,बदलते दौर में मुझे |
हिम्मत रखकर, फिर दिखलाऊँगा |
एक दिन आयेगा ,जमाने में बेशक|
जीत हासिल कर करके ,इतिहास बनाऊँगा |
……………………………….इतिहास बनाऊँगा|
-प्रेम