ईगो :सफलता साथ साथ व्यवहार का रूप |
ईगो सफलता के साथ

जब से मनुष्य ने इस धरती पे जन्म लिया है ,तब से हम किसी न किसी रूप में ‘ईगो’ शब्द को सुनते आये है |ईगो वही है जिसे हम बोलचाल की भाषा में कभी कभी घमंड भी कह देते है |
ईगो सामान्य अवस्था में होता है, तब ज्यादा कोई बात नहीं होती लेकिन जैसे हि इसका रूप बदलता दिखता है ,वैसे वैसे मनुष्य का व्यवहार भी बदलने लग जाता है |देखा जाये तो व्यवहार में परिवर्तन होना एक सामान्य सी बात है, लेकिन अगर समय के साथ साथ इसमें तीव्रता देखी जाये तो हमें ,अपने आप ही समझ आ जाता है, की इस पर ईगो का प्रभाव आने लग गया है |
जब मनुष्य पैदा होता है तो वह सब बन्धनों से मुक्त होता है, लेकिन जैसे जैसे वह आगे आने वाले संसार में बढता जाता है ,तो वह अनेको संकटो से घिरता हुआ चला जाता है और इसी के साथ उसका व्यवहार भी परिवर्तन होने लगता है |
ईगो का सफलता से सम्बन्ध

अपने जीवन में जब व्यक्ति अनेको संघर्ष का सामना कर रहा होता है ,तब वह एक सामान्य व्यक्ति की भांति अपना जीवन यापन करता है ,पर जैसे ही वह सफलता की सीढी पे चढ़ने की और बढता जाता है ,निरंतर उसके व्यवहार में परिवर्तन होना लाजमी है |पर कई मायने में इंसान काफी बड़े पद के पहुँच जाने के बाद भी अपने आप में तनिक मात्र का घमंड नहीं रखता है |जिससे उसकी सफलता में चार चाँद लग जाते है |
भगवान् ने हर इंसान को अपने हिसाब से जीवन जीने की आजादी दी है और वह जी भी सकता है ,लेकिन जब जब वह अपनी घमंड की अति करने लग जाता है ,तो शायद उसको जीवन जीने में कई तकलीफों का सामना करना पड जाता है |
जैसे जैसे सफलता आने लगती है, एक कड़ी परिक्षा के रूप उसकी सफलता के साथ कुछ अंश ईगो का आने लगता है |धीरे धीरे वही अंश एक दिन बड़ा होकर व्यवहार में इतना बड़ा परिवर्तन कर देता है ,की हम एकांत में यह सोचने को मजबूर हो जाते है ,की में पहले तो ऐसा नहीं था| अब अचानक से मेरे साथ ऐसा क्यूँ हो रहा है |
जब तक उसे यह समझ में आता है, काफी सारा समय निकल चुका होता है |अपने सारे रिश्ते धीरे धीरे उससे दूर होने लगते है और अंत में वह अपने आप को अकेला ही महसूस करने लग जाता है |
ईगो से बचने के उपाय
- अपने आप में जब भी परिवर्तन होने लग जाए ,तब अपना खुद का आंकलन करना जरुरी हो जाता है |
- आप खुद ही हो जो अपने आप को औरो से बेहतर समझ सकते हो |
- जैसे जैसे सफलता मिलती जाती है, ईगो आना एक सामान्य बात है ,जरुरी यह है की हमने उसे कैसे बैलेंस किया |
- अपनी सोच को हमेशा ही सकारात्मक बनाए रखे ,आपकी सोच ही आपकी एनर्जी है |
- जब भी किसी के द्वारा व्यवहार परिवर्तन की बात बोल दी जाए तो ,उस पर जरुर अमल करे की उसने ऐसा क्यूँ बोला |
- अपने खाने पीने की आदत को हमेशा ही संतुलित रखे जिससे आप अपने विचारों में संतुलन बना कर रख सको |
- जरूरत पड़ने पे कभी भी जरूरतमंद की सहायता करने में पीछे ना रहे |
- हो सकता है ,कई मायनों में आप गलत हो ,अपनी गलती स्वीकार करे ,बिना मतलब जिद्दी बने रहने की कोशीश न करे |
- रोज सोने से पहले अपना आंकलन जरुर करे ,दुसरे दिन अपने में सुधार करे |
- प्रतिदिन थोड़ा थोड़ा सुधार एक दिन बड़ा बदलाव लाता है |
- अनजाने में किसी से कोई गलती हो जाए तो उसे माफ़ करे |
- अपने स्वभाव को सरल बना कर रखे |
मेरे सुझाव
यह इंसानी परिवर्ती है की वह जाने अनजाने में कुछ एसा कर ही देता है ,की सामने वाला व्यक्ति हो सकता है गलत ले ले |जब तक कोशिश हो अपने विचारों पे हमेशा ही कंट्रोल रखे |अपना व्यवहार सबसे सही बनाकर रखे |आपका व्यवहार ही है जो आपको एक अलग पहचान दिलाता है और इसी के बलबूते वह दुनिया में अपना नाम करता है |सफलता के साथ आने वाले ईगो का प्रभाव कभी दुसरो पे न पड़ने दे उसे हमेशा कम अहमयत दे | जीवन जीना एक कला है उसे हमेशा सीखते हुए आगे बड़े |
अपने आप को समय के साथ अपडेट करते रहे |
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