संवाद :अटूट बंधन

पिता –पसीने की बून्द से सिचा परिवार है |
पेट की भूख से बना सहारा है |
मत कर भूल दूर होने की सांये से मेरे|
कंधे पे बिठाकर दिखाया संसार है |
पुत्र -में तेरा पुत्र ही नहीं, सांया हु बापू |
हर वक्त परछाई बनकर खड़ा रहूंगा|
आयेंगे बादल संकट के दौर में तेरे|
हर लूंगा ताकत से सब दर्द बिखरे|
पिता -ताकत नहीं, कुछ पल चाहिए|
हर छण बात करने की हिम्मत चाहिए|
लड़ लूंगा ,जगत से सारे गुमनाम|
कुछ और नहीं ,बस ! तू चाहिए|
पुत्र -मत कर फिक्र, कल दौर की बातो का|
आज डंटा हु, मजबूत इरादों सा|
में कौशल हूँ ,संकट मोचन हु |
तेरे हर दुखो की हिम्मत हु |
पिता -दुःख झेलूँगा, हर बार लड़ लूंगा|
तुझ पर आया, मुश्किल दौर पड लूंगा|
हिम्मत देना, बस हर बार मुझे|
हार -हार कर भी ,जगत जी लूंगा|
पुत्र -हारने नहीं दूंगा, जगत में इक पल|
जीतने तक, सब्र दिखलाऊंगा|
हर ख़्वाब ,देखा है तूने जो|
पूरा करके आगे बढ़ाऊंगा|
दौर रहेगा, जब तक संसार में|
आंश रहेगी ,मन मंजर में|
पिता -आंश नहीं, तेरा मन चाहिए|
साथ टिकने वाला ,तेरा तन चाहिए|
बेबस हो जाऊंगा, पल भर जुदाई से तेरी|
आखिरी साँस रहने तक, बस! तू चाहिए|
पुत्र -में मंजर हु ,में सांया हु |
तेरे हर पसीने की कीमत की माया हु|
मत हो निराश, मत हो उदास|
में सर्जन हु, तेरे अक्ष का ,अटूट बंधन हु |
-प्रेम
1 comment