ममता ;करुणा की गाथा

माँ रो देती है ,माँ हंस लेती है |

न्योछावर ममता को कर देती है |

गाथा अनोखी है ,संसार में तेरी |

बहते आंशू ,आँखों के पोंछ लेती है |

माँ रो देती है ,माँ हंस लेती है |

भुला सा ,बिसरा सा लगता है |

हर पल ,अपना सा लगता है

मायूस ,उदास मन को तेरे

हर बार पड़ लेती है |

मुश्किल दौर में तेरे ,साथ खडी रहती है |

अक्षरों की अनपढ़ है ,तो क्या !

मन से अक्षरों की पहचान लेती है |

माँ रो देती है ,माँ हंस लेती है |

माँ परिवार लिखने वाली शक्ति है|

ममता की ,करुणा की भक्ति है |

जन्म  से बेशक तड़पी है, हर पल|

दुःख से तेरे लड़ ,लेती पल पल |

माँ ममता की ऐसी सूरत है |

रो रोकर भी हंस लेती है |

भूलने की कोशिश नहीं छणिक |

गुजरे पल के लम्हों को,

याद करके जी लेती है |

माँ  रो देती है ,माँ हंस लेती है|

नींद नहीं आती ,सपनो में खोये |

लगता है ,जैसे खड़ा तेरा स्वरूप है |

लड़खड़ाते कदमो से देखा तो ,

सब कुछ धूमिल लगता रूप है |

लगता कीमती है ,वक्त

कल तक जो रुकी थी|

हर पल डटी थी|

सहारे में तेरे हर पल खडी थी|

भूल ना जाना अनमोल पल|

हर दर्द सहकर बड़ी हुई |

माँ रो देती है ,माँ हंस लेती है |

अनसुलझी पहेली को ,जीत लेती |

-प्रेम

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