
जीवन सुख दुख का मेला है ||
एक का दुख, दूसरे ने झेला है |
जीवन जीने के लिए है ,साथी बनकर||
कभी गिरकर ,कभी संभलकर|
बच्चे होते हैं, जीवन खुशहाल बनाने को|
माँ के दुलार पापा, का प्यार पाने को |
पूछ कर देखो ,दर्द दिलो के एहसान उनको ||
कमी रहती है, किलकारी की , जीवन भर जिनके|
मिला है, सब कुछ ,संभलकर तो जिओ ||
अपनी ममता को दुलारकर तो जिओ |
अपने प्यार को लुटाकर तो जिओ |
दूर क्यों रहते हो ,बचपन में साये से उसके ||
थोड़ा कुछ बलिदान करके तो जिओ |
पूर्ण हो जाएगा सफर जिंदगी का |
उसके सुपर हीरोज बनकर तो जीओ |
-प्रेम