विश्वास :एक अदम्य साहस

विश्वास :एक अदम्य साहस

विश्वास बना लो हार को जीत में बदलने का ||

मेहनत से घबराकर पीछे ,क्यों हटते हो |

चार पल में कट जाएगी जिन्दगी ,डर के क्यों जीते हो |

भंवरे नहीं तुम उस फुल के ,मकरंद लेने के बाद भूल जावोगे |

तुम तो साहिल हो उन लहरों के, चोट खाकर भी मुस्कावोगे ||

मेहनत करके तो देखो रंग लायेगी एक दिन ||

उजड़े बाग़ में फुल खिलाएगी एक दिन |

विश्वास कभी कम मत होने देना ,अपने आप पर ||

तेरा विश्वास ही तेरी जीत है ,तेरा विश्वास ही तेरी मंजिल है ||

कौन रोक पायेगा, सफल होने से तुझे |

हारना तेरी फितरत नहीं ,जितना तेरी आदत है |

हार को जीत में बदलकर दिख्लावोगे |

कौन कहता है, हार के बाद जीत नहीं सकते ||

मन में विश्वास, जूनून ,सवार हो कुछ कर गुजरने का |

हार -हार रह जाती है ,जीत बनकर लौट आती है ||

-प्रेम

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