वह नर्स ही है।
नर्स

अस्पताल ही ,जिसका रास्ता रहेगा।
रोगी से हर बार वास्ता रहेगा।
दवा देने को तत्पर।
कर्तव्य से वादा हर बार रहेगा।
नाम अनेक -नर्स ,परिचायिका ,सेविका।
विस्तृत कर दू तो स्वास्थ्य कर्मी कहलाती है।
सेवा ,देखभाल ,ममता ,करुणा से तृप्त कर जाती है।
नाम उनके, सेवा का भाव ,हमेशा दिखाती है।
मुश्किल दौर में नही होता डगमग ,धैर्य क्षणिक भी।
पोंछने को आँशु ,रहती तत्पर फिर से।
आज कहानी संघर्ष दौर की सुनाता हूँ।
फरिश्ता कहूँ या जीवनदायनी कहुँ।
‘उम्मीद की किरण ‘हर बार दिखाती है।
स्वास्थ्य सेवा को , फिर मजबूत बनाती है।
तड़पते ,कहारते दर्द से रोगी को ,
‘देवदूत ‘ बनकर संभालती है।
तकलीफ लिए ,अनेको सीने में।
मुस्कराकर ,आगे बड़ जाती है।
संकट के हर , बादल की गर्जन में।
ढाल बनकर ,नजर आती है।
समर्पण हो ,जिसका निष्ठां से भरपूर।
रोते हुए शब्दों में भी ,
फिर से नयी , खुशी लौटाती है।
वह नर्स ही है ,जो सब को एक बनाती है।
एक शब्द नही ,अनेको शब्द है , बताने को।
हर रोगी के जीवन को ,फिर से संजोने के ।
वह नर्स ही है ,जो हर बार सिखाती है।
सीमा में बंधे होने के बावजूद भी ,
निडरता से आगे बड़ जाती है।
साहस लेकर ,हिम्मत के साथ।
हर बार खड़ा पाती है।
बार बार उठकर भी ,सेवा भाव दिखाती है।
फिर से एक उम्मीद को ,आगे लेकर जाती है।
दर्द छुपाकर अपने तन के ,
मन के गहरे सांये में।
फिर से मुस्करा देती है।
करुणा भाव में रखकर मन में ,
सब कुछ भुला लेती है।
वह नर्स ही है , जो ‘रुग्णहरणी ‘कहलाती है।
बहते घाव पे फिर ,मरहम पट्टी लगाती है।
लम्बी ड्यूटी की थकान से भी ,
तनिक नहीं घबराती है।
आँखों को खोलकर ,रातभर ,टकटकी लगाए रखती है।
वह नर्स ही है, जो भरपूर ऊर्जा लेकर ,
सेवा भाव में जुट जाती है।
बच्चे की पहली किलकारी से ,
सबको खुशी सुनाती है।
हर अंतिम सांस में भी ,
आँशु पोंछने वाली बन जाती है।
वह नर्स ही है , जो ममता ,करुणा की ‘देवी ‘कहलाती है।
मुश्किल दौर में भी कदम ,आगे ही बढ़ाती है।
वह नर्स ही है , जो हर किरदार निभाती है।
स्वास्थ्य सेवा की कमर को ,
मजबूत हर बार बनाती है।
आपातकाल में भी ,जो सबसे पहले याद आती है।
वह नर्स ही है ,जो रोगी में नयी उम्मीद जगाती है।
जिम्मेदारी बड़ी रखकर , कंधो पर हमेशा।
अपने आप को ,अडिग बनाती है।
लाख शंकाये ,मन में रखकर भी।
सबकी जिम्मेदारी निभाती है।
वह नर्स ही है ,जो हर बोझ सरल बनाती है।
इतिहास गवाह है, गवाह रहेगा हर बार।
चिकित्सा के क्षेत्र में ,पूरा योगदान दे जाती है।
वह नर्स ही है ,जो मरीज की हिम्मत बढ़ाती है।
डगमगाते कदमो को फिर, सहारा दे जाती है।
वह नर्स ही है , जो कंधे से कन्धा मिलाती है।
बिखरती हुई उमीदो को , फिर से जगाती है।
वह नर्स ही है ,जो अब ‘नर्सिंग अधिकारी’ कहलाती है।
………………………………………………………………कहलाती है।
-प्रेम
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