
SCREENPLAY: “वरदान “
Genre: Drama | Inspirational | स्ट्रगल
Duration: 15-20 मिनट की शॉर्ट फिल्म
SCENE 1: खेतो का जीवन (Opening Scene)

EXT. खेतो का खुला मैदान – शाम
(Wide Shot: आकाश में लालिमा छा रही है ,पंछी चहचहाट के साथ अपने गंतव्य की और जा रहे है ,दिन भर की थकान से कहारते हुए और आपस में बात करते हुए किसान गाव की और जा रहे है।)
(Close-up: ४० साल का किसान भुवन खेतो पर बनी झोपडी के बाहर टूटी हुई चारपाही पे बैठकर ,ये सब नजारा देख रहा है। पास में ही उसके साथी बैल भूरा और मुर्रा रम्भा रहे है और दिनभर की थकान के बाद मानो अपने मालिक से कह रहे हो ,अब आराम का समय आया है , कुछ चारा मिल जाये तो पेट की भूख शांत हो जाये )
(Mid-shot: पास में खडी किसान की ३५ साल की पत्नी सुन्दर अपने दो बेटो के साथ खेतो की झोपडी के बाहर ,मिटटी से बने चूल्हे पर गेहू की रोटी सेक रही है |सबसे छोटा बेटा खेतो की बाड़ी से हरी मिर्ची ,धनिया और टमाटर तोड़कर लाता है|
पास में रखे सिलबट्टे को धोकर उस पर सभी को मिलाकर चटनी बनाता है \
सुंदर
हँसते हुए
“बेटा तुझे हमेशा चटनी ही पसंद है क्या, कुमार !”
कुमार
(सोचते हुए एकदम जोश के साथ )
“एक दिन आयेगा माँ ! जब हम भी अच्छा अच्छा खाना खायेंगे|
सुंदर
(उसे उकसाते हुए )
“पहले चटनी अच्छे से बना ले लखपति बाबु !”
(भुवन भी शांत स्वभाव में मन ही मन मुस्करा देता है।)
SCENE 2: परिवार का संघर्ष और पैसो की तंगी

INT. मिटटी का छोटा सा घर :रात का समय
(Medium shot: कुमार कांच की बनी हुई केरोसीन की एक धुँआ निकालने वाली चिमनी में ,पसीने से लथपथ जमीन पे बैठकर एक कई साल पहले की फटी पुरानी किताब लेकर पढाई कर रहा है |उसकी माँ पास ही रखी हुई चार्पाही पे लेटी हुई उसको टकटकी लगाये देख रही है |
माँ
(धीमी आवाज के साथ स्नेह से लम्बी सांस भरते हुए )
“बेटा , पता नहीं ये गरीबी हमारा पीछा कब छोड़ेगी … हमारे जैसे गरीब किसान के लिए अच्छा खाना भी नसीब नहीं होता !”
कुमार
(पढाई में मशगुल जोश के साथ )
“माँ , मार्शाब बोलते है, मेहनत करने से सब कुछ एक दिन जरुर बदलता है !”
हंसते हुए, देखना एक दिन अच्छा खाना भी होगा और कांच के जैसा घर भी|
(माँ लेटी हुई मुश्कारती है ,पर आँखों में चिंता के भाव साफ़ झलक जाते है)
SCENE 3: कड़ी मेहनत और परिवार का सहयोग

INT. गाँव के पास ही का स्कूल – दिन का समय
(Wide shot: स्कूल के मार्शाब द्वारा अपने ही स्कूल के एक सफल छात्र की जिन्दगी की कहानी पुरे जोश के साथ )
मार्साब
“अगर गाँव का मुकेश पढाई करके अपने और अपने परिवार की जिन्दगी बदल सकता है, तो यहाँ बैठा हर छात्र ये कर सकता है”
(Close-up: कुमार जोश से तन जाता है ,उसकी आँखों में एक नयी उम्मीद दिखती है और मन ही मन संकल्प लेता है ,अगर वो कर सकता है तो में भी करूँगा चाहे कितनी भी मेहनत करनी पड़े |
(दुसरे ही पल चिंता में पढ़ जाता है , आगे की पढाई के पैसे कैसे आएंगे )
कुमार
(मन ही मन सोचने लगता है )
“पढाई में पैसे लगेंगे … इतने पैसे कहां से लाऊगा ?”
कुमार के पड़ोसी
(हँसते हुए मजाक बनाते है, किताबी कीड़ा बना रहता है, ज्यादा पड़ेगा तो पागल हो जायेगा| )
“नहीं बनेगा तू कोई कलेक्टर “
(कुमार को बांते चुभती है ,पर वह मन ही मन संकल्प लेता है ,कलेक्टर न सही कुछ तो बनकर दिखाउंगा )
SCENE 4: जीवन का संघर्ष और पढाई
MONTAGE: (संघर्ष भरे दिन दिखाए जाते है )
- (कुमार सुबह पैदल स्कूल जाता है ,स्कूल से घर आकर खेतो की रखवाली करता है ,साथ ही खेतो पे पढाई भी करता है ,एक हाथ में किताब, दुसरे हाथ में घंटी से पंछियों को खेतो से भागता है ,बीच बीच में मन हि मन खुश हो जाता है )
- माँ पानी से बनी चाय बना देती है|
- पैसे कमाने के लिए कभी पहाड़ो पे काम करता है|
- कभी गाँव के कुछ बच्चो को ट्यूशन पड़ा देता है|
- बड़ी मेहनत के बाद कुछ पैसे इक्कठे कर पाता है )
(एक दिन माँ की तबियत खराब हो जाती है ,कुमार अपने पैसे निकालकर देता है ताकि माँ का इलाज हो सके ।)
गाँव के शाहूकार
(अपने पैसो का घमंड रखकर )
“बातो बातो पे मजाक बनाते हुए “
(कुमार कभी अपनी तो कभी अपने परिवार की बाते सुनकर मुट्ठी भींच लेता है और यह ठान लेता है ,समय आने पर सब ठीक होगा )
SCENE 5: बहिन का प्यार और प्रेरणा

EXT. गाँव के घर पे – सुबह
(Mid-shot: कुमार बैठे बैठे पढाई कर रहा है ,पर गुमसुम लग रहा है ,मानो आगे की चिंता सता रही हो।)
बहिन
“गुमसुम क्यों बैठा है ,लग नहीं रहा पढाई कर रहा है , कुमार ?”
कुमार
“लगता है, माँ सही सोचती थी … की ये गरीबी कभी पीछा छोड़ेगी या नहीं ।”
(बहिन हिम्मत बांधते हुए )
बहिन
“गाँव के उसी लड़के के बारे में बताती है ,जो सफल हुआ, कुमार ! और मेहनत करेंगे एक दिन सब बदलेगा !”
(कुमार उसकी आँखों में देखता है और उसे फिर से एक नयी हिम्मत मिल जाती है |)
SCENE 6: सफलता की और बड़ते कदम

INT. स्कूल का हॉल -दिन का समय
(Close-up: कुमार परीक्षा दे रहा है ,वह दिन रात मेहनत कर रहा है )
(Cut to: रिजल्ट वाले दिन कुमार को बैचेनी हो रही है |कुमार रिजल्ट वाले बोर्ड की तरफ बड़ी हिम्मत से जाता है और जैसे ही रिजल्ट देखता है ,उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है, अब मानो सब कुछ बदल जायेगा )
(पड़ोसी और उसके मित्र जो मजाक उड़ाया करते थे ,अब हैरान है, पर अब कुछ करीबी कुमार की मदद करने को तत्पर रहते है |
(आख़िरकार वो दिन आ ही जाता है ,जब वह अपनी सफलता की पहली सीढही चढ़ने को तैयार होता है |)
SCENE 7: क्लाइमैक्स – सपने पुरे करने के लिए कड़ी मेहनत
INT. – 5 साल बाद

(Wide shot: कुमार अब एक अधिकारी बन चुका है ।)
(Close-up: अब उसे खुद पे गर्व है ,की वो सब सपने पुरे करेगा ,जो बचपन में देखा करता था ।)
(Mid-shot: कुमार अपने अधिकारी पद पे रहते हुए खूब मेहनत करता है और बहुत नाम कमाता है और महीना पूरा होने पर आखिर वो दिन आता है, जब उसे तन्खावाह मिलने वाली होती है और जैसे ही उसे अपनी मेहनत की पहले कमाई मिलती है, वह तुरंत गाँव के लिए निकल जाता है ,जहा उसकी माँ उसका इन्तजार कर रही थी |
गाँव के निकट वाले बस स्टैंड पर उतरकर आज फिर वो गाव की तरफ पैदल यात्रा करता हुआ जाता है और उसी पल उन सारे लम्हों को याद करता है ,जब वो स्ट्रगल के दिनों में जीता था | गाँव के रास्ते में जो भी मिलता उसकी तारीफ़ करते नहीं थकता |
कुमार (घर पहुचकर माँ बापू के पैर छूता है| )
“बैग में रखी पहली कमाई माँ के हाथो में रख देता है और वो ख़ुशी के आंशु रो देता है, अगले ही पल माँ को इतने पैसे देखकर विस्वास ही नहीं होता और माँ के आँखों से निकलने वाले मोती, हाथ में रखे पैसो पर पड़ती है मानो बरसो से छुपाये आंशु आज बह गये हो और रुकने का नाम नहीं ले रहे हो |”
कुमार !मैंने बोला था न, माँ !सब कुछ बदल जाएगा|
माँ (आज पहली बार बिना चिंता के मुस्कराते हुए)
“भगवान् ने मेरी लाज रख दी बेटा !”
(Camera pulls up: लालिमा के वक्त पंछी चह्चाहट के साथ अपने घर को लौटते है |)आज मानो घर में ख़ुशी का त्योंहार मन रहा हो |
(Background Music: इमोशनल म्यूजिक बजता है ।)
�� THE END – यही से नया जीवन शुरू होता है

✨ Highlights of the Screenplay:
✅ इमोशनल एंड प्रेणादायक स्टोरी
✅ गरीबी के विरुद्ध संघर्ष
✅ परिवार का सहयोग
✅ गाँव में औरो के लिए सीख
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