पिता : परिवार के संघर्ष का नायक |

ख़ुशी तुझसे रूठ जाती है, हर दौर पीछे छूठ जाती है|
सपनो को पुरे करने की खातिर, सपने अपने टूट जाते है|
नायक है, पिता परिवार का ,हर भूमिका का रूप लेता है|
नयी कहानी लिखने को ,फिर तत्पर हो पड़ता है|
जगत बनाने में फिर ,आगे बड जाता है|
पिता की कहानी अनमोल है, खामोशी में छिपे दर्द और है|
खुश हो लेता है ,झूठी मुश्कान रखकर|
अडिग रहता है, परिवार के साथ डटकर|
लाख तूफ़ान आते है रहते। …. छुटमुट
सब कुछ हिलाने को मजबूर…
हिम्मत तेरी अनोखी है, लंबे दौर से दूर|
अकेला ही भारी पड़ता, सो सो कांटो के दौर से|
फिर भी पीछे नहीं हटता ,दर्द विभोर से|
चुभने लग जाते ,लालिमा लिए दर्द अनेक |
होंठो पे मुस्कान लेकर बढ़ता रहता |
कहानी बहुत है ,सुनाने को तेरी | |
शब्द बहुत है, बताने को तेरे |
अनमोल पत्थर है, तू !
हर बार गढ़ता इतिहास है |
सब कुछ लूट भी जाए तो क्या |
रखता अमिट साहस है |
मजबूरिया तड़पाती है|
दुःख दर्द दे जाती है|
नाम नहीं लेती रुकने का,
हर पल रुलाती है |
तू चाँद है, पूनम रात का |
अँधेरे को हर बार ,हर लेता है |
जीवन खुशहाल बनाने को
निरंतर आगे चलता है |
आज कहानी संघर्ष की लिखता हूँ |
जग में तेरा नाम रोशन करता हूँ |
वक्त मिलेगा ,जब जब संसार में|
इतिहास दोहराऊंगा हर बार ,में |
बुझदिल नहीं ,तू औरो से डरने वाला |
तूफ़ान है ,आगे बढ़ने वाला |
मुश्किल दौर के सपनो से परे
गिरकर फिर उठने वाला |
आज कहानी तेरी ,संघर्ष की लिखता हूँ |
हर पिता की कहानी अलग ,रूप समान है |
शब्द संघर्ष के जुड़ते , हर बार है |
मिट भी जाएगा ,जगत से हर रूप |
फिर भी रहेगा तेरा ,अमिट स्वरूप |
कुछ नहीं रखता, फिर भी सब कुछ सहता है |
पीढ़ी को अपनी ,आगे ले चलता है |
नाम नहीं कभी ,रुकने का लेता |
संतान को फिर से , वही जिम्मेदारी देता |
कहानी तेरे संघर्ष की, हर बार पडता हूँ |
आज कहानी संघर्ष की ,में तेरी लिखता हूँ |
नायक है, तू परिवार के सपनो का |
लिखता रहेगा, भविष्य अपनों का |
आज कहानी तेरी, संघर्ष की लिखता हूँ|
अनमोल तेरे वचनो से, जगत रोशन करता हूँ |
जगत रोशन करता हूँ |
आज कहानी तेरी ,संघर्ष की लिखता हूँ |
-प्रेम
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