
नारी है तू ,ममता की बहती हुई नदी धारा है |
धरती पे जन्म लेने वाले , वीरो की आशा है |
नया रूप बदल लेती, हर नए मोड़ पे आकर खड़ी रहती |
हर पल ,जगत को रोशन करने वाली अभिलाषा है |
नारी है तू, ममता की बहती हुई नदी धारा है |
होता शुरू दौर है, संघर्ष का तुझसे |
जन्म लेती विविध रूप में जबसे |
अछूता नहीं क्षेत्र ,आज जग का कोई परे |
कंधे से मिलाकर कन्धा, खड़ी हर बार है |
नारी है तू ,ममता की बहती हुई नदी धारा है |
संकट का क्षण, बिगाड़ नहीं पाता कुछ |
लुटा कर ख़ुशी ,अपने मन संसार की |
आज अमर है, अजर है, हर रूप में सदा |
नारी है तू ,ममता की बहती हुई धारा है |
इतिहास गंवाह है ,यादो से भरे हर रूप से तेरे |
बनता इतिहास है ,इरादों सा मजबूत है |
आज भी विविध है, कल भी विविध थी |
हर पल रहेगी ,हर बार रहेगी, शुद्ध स्वरूप है |
नारी है तू ,ममता की बहती नदी धारा है |
में कुछ नहीं ! बस तेरे शब्दों की जीत है |
तू खुद में ही, हमेशा न्याय की मूर्त है |
कल्पना मुश्किल है ,बिन तेरे राह जीवन में |
हर बार चुनोतिया, करती स्वीकार है|
नारी है तू, जगत निर्माण की पूर्ण जिम्मेदारी है |
लड़ लेती हो, सुन लेती हो ,अगले ही पल हँस लेती हो |
अनोखी बातो पर हर पल , सबको पढ़ लेती हो |
खुद से भी हर बार, विश्वास जीत लेती हो |
नारी है तू ,ममता की बहती धारा है |
शब्द अनंत है सम्मान में तेरे, हर वक्त |
हर शब्द पर जीतने वाली नई कहानी हो |
नारी है तू, ममता की बहती नदी धारा है |
महिला सशस्क्तिकरण की बात जब भी आती |
तत्पर हो जाती हो अधिकार है
नारी है तू शक्ति सर्जन की अमिट कहानी है |