थकान : जीत का उत्साह |
जीत
जीत का अहसास अगर मन में हमेशा रहता है तो जीत हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता | एक बार मन बनाने के बाद बिना रुके ,बिना थक चलते रहना है | नीचे लिखी पंक्तियों के माध्यम से कवियत्री वही बताना चाहती है |

थक सा गया हूँ ,रुक सा गया हूँ | |
एक पहर पे आकर ,डट सा गया हूँ |
भूल हो जाती है ,हर बार कुछ करने पे | |
अब लगता है ,जैसे डर सा गया हूँ |
कोशिशे लाख की ,जीतने की ,बार बार ||
कोशिशो से परे ,हारता गया हर बार |
मुश्किल लगने लगा दौर है ,राहे जिन्दगी में ||
रुक रुक कर, अब सहम सा गया हूँ |
गलती , क्या ! हुई ,आगे बढने में मुझे ||
पता करने जिसे , थम सा गया हूँ |
सपने तमाम है ,जीवन में मेरे …सबसे अलग ||
पूरा करने की निरंतर, जिसे रहती है ललक |
क्यों मजबूर हूँ आज ……गिरा बेबस ||
कल फिर, एक बार ,उठ जाउंगा |
जीवन की थकान से परे ,फिर आगे बढ जाउंगा ||
हर बार गिरा ,हर बार उठा हूँ |
ठोकर खा खाकर भी ,हर बार लड़ा हूँ ||
जिद्दी हूँ ,अपने सपनो की खातिर |
आखिरी पल तक, जीवन में डट जाउंगा |
में पंछी नहीं ,पीछे हटने वाला ||
तेज तुफानो से डरने वाला |
में कतरा हूँ ,बहती धारा का कलकल ||
खुद ब खुद रास्ता बनाऊँगा |
लाख मुश्किलें आयेंगी ,बदलते दौर में मुझे ||
हिम्मत रखकर, फिर दिखलाऊँगा |
एक दिन आयेगा ,जमाने में बेशक ||
जीत हासिल कर करके ,फिर इतिहास बनाऊँगा |
………………………………………….इतिहास बनाऊँगा |
-प्रेम
उक्त कविता में एक इंसान अपने जीवन की कथा बया कर रहा है | कविता के माध्यम से कवियत्री कहना चाहती है कि अगर मन में जीतने का उत्साह रखा हुआ हो तो लाख मुश्किलें आने के बावजूद भी उसे अपने लक्ष्य को हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता है | यह निश्चय है की जब हम एक रास्ते पे चल रहे होते है तो हमें मुश्किलें आना तय है | आज तक कोई भी ऐसा नहीं हुआ जिसने बिना मुश्किलो के अपना नाम इतिहास में लिखवाया हो ,तो भला एक इंसान बिना तकलीफों के कैसे सफल हो सकता है | असली जीवन जीने का मजा तभी है जब वह संघर्ष के दौर से गुजरा हो ,वर्ना आसानी से मंजिल मिल भी जाए तो, दुनिया को बताने के लिए उसके पास शायद ही कुछ हो |
इस कविता के माध्यम से कवियत्री बताना चाहती है कि अगर इंसान अपने जीवन में इतिहास बनाना चाहता है तो बेशक उसे हर बार गिरने पे भी अपनी हिम्मत नहीं खोना है ,फिर से हिम्मत रखकर उठना है | एक समय ऐसा भी आयेगा जब सब कुछ बिखर चूका होगा ,उसे अपने आप में सोचने को मजबूर होना पड़े ,पर इन सब को पीछे छोड़कर जीत हासिल करने के लिए अपने आपको मजबूर ,बेबस ,लाचार कभी नहीं समझना है ,अपने होशलो को मन में रखते हुए आगे बड़ते रहना है |
असली जीत का स्वाद वही चख पाता है जो आखिरी पल तक रुका रहता है ,हो सकता है उसकी मंजिल अगले ही कदम पे उसका इन्तजार कर रही हो | इसी सोच के साथ आगे बड़ते रहना है |
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