खुली हवाओ का पंछी :साहस

खुली हवाओ का पंछी :साहस

मत कर भूल टूटकर भिखरने की ,जीवन सुन्दर फूलो का बगीचा है |
हर बार खिलकर टूट जाने पर भी ,वापिस से नया रूप लेता है |

हजारो की भीड़ में फिर भी, अपने को जगह देता है |
मत हो परेशान असफ़लतावो के मंजर से |
जीवन का एक भाग है ,जो कड़ी परीक्षा लेता है |
तू पंछी है, खुली वादियों का ,
तुफानो से भी नहीं डरता है |
डर डर कर अपने साहस को फिर से बटोर लेता है |
फल की चिंता किये बिना ,आज में ही जीवन जीता है |
जीवन में साहस भरा है ,कूट कूट कर तेरे |
हर बार गिरने पर भी नहीं भिखरता है |
तू पंछी है खुली वादियों का ,
तुफानो से भी नहीं डरता है |

-प्रेम

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