१८ घण्टे की यात्रा का संघर्ष:ख़ुशी का अहसास |
ख़ुशी का अहसास

कौशल अपने परिवार में सबसे बड़ा लड़का था | पिता एक छोटी सी नौकरी करके अपने परिवार को पाल रहे थे |
माँ गृहणी होने के साथ परिवार और खेती का सारा काम संभाल लेती थी जिससे बाकि अन्य काम अपने प्रवाह से चल रहे थे | समय समय पर कौशल काम में भी अपने माँ बाप का हाथ बताने लगा जिससे उसे भी जिम्मेदारी का अहसास होने लगा |
जब कभी माँ की तबियत ख़राब होती तो अपने परिवार की सारी जिम्मेदारी उठा लेता | वैसे कौशल के २ छोटी बहन थी पर वह उनसे ज्यादा प्यार करता था तो कभी घर के काम के लिए नहीं बोलता था |
उसका स्वभाव बहुत की कोमल था कभी घुस्सा आ जाये ऐसा कभी उसके बारे में किसी ने नहीं बोला |
कौशल के पापा ने भले ही पैसे सेव नहीं किये हो पर अपने जीवन की सारी कमाई अपने बच्चो पे लगा दी उसका मानना था की जीवन में शिक्षा से अच्छी कोई सेविंग नहीं हो सकती |
कौशल ने अपनी पढाई पूरी कर ली अब उसके सामने आज अपना भविष्य सवारने की बात थी | खूब मेहनत के बाद आज घर में खुशी की लहर थी और हो भी क्यों नहीं आज कौशल ने एक अच्छी नौकरी पा ली थी |
टाइम यूँ ही बीतता गया और आज वह दिन था जब उसे अपनी जोइनिंग के लिए काफी दूर जाना था |
बड़ी जल्दबाजी में उसने अपने सामान पैक किये ,काफी मशक्क्त के बाद भी उसे ट्रैन का रिजर्वेशन नहीं मिल पाया था तो चिंता इस बात की थी की २४ घण्टे की यात्रा कैसे करूंगा |
डर जरूर था पर उसने अपने आप को समझाया और तैयार हो गया |
शाम का समय था वह अपने मम्मी पापा का आशीर्वाद लेकर अपनी एक नयी यात्रा शुरू करने वाला था |
उसके पापा ने उसे स्टेशन पे छोड़ दिया ,ट्रैन आने में भी थोड़ा और समय था |
जैसे ही समय नजदीक आता जा रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी इसलिए नहीं की उसको एक लम्बी यात्रा करनी थी बल्कि इसलिए की वह अपने परिवार से दूर जा रहा था |
मन में बहुत सारे नए विचार आ रहे थे उससे परे वह अपने फ्यूचर के बारे में सोचने लगा | हाथ में अपने डॉक्यूमेंट का थैला था जिसे उसने अपने से अलग नहीं रखा | जँहा भी वह जा रहा था अपने साथ डॉक्यूमेंट का थैला रख रहा था |
समय निकलने लगा ,थोड़ी देर बाद दूर से एक सीधी लाइट के साथ हॉर्न की आवाज आयी |
इसी के साथ अब उसका इन्तजार ख़त्म होने लगा | उसकी घबराहट तो तब ज्यादा बड़ी जब उसने ट्रैन में भीड़ को खच्चाखच भरा देखा | अंदर ही अंदर उसे लग रहा था इतना बड़ा सफर कैसे पूरा होगा |
हिम्मत नहीं हारते हुए थोड़ी देर मशक्क्त करने के बाद उसने थोड़ी देर में ही अपने आप को ट्रैन के जनरल डिब्बे में पाया |बैठने के लिए भले ही सीट ना मिली हो पर उसने अपने डाक्यूमेंट्स के थैले को अपने पास ही रखा | सब और से बड़ा ही शोर शराबा हो रहा था पर जैसे तैसे उसे अपने आप को डिब्बे की गेलेरी में फिक्स कर लिया |
थोड़ी ही देर में एक लम्बे हॉर्न के साथ ट्रैन चलने लगी और बाहर से आ रही ठंडी हवा ने मानो उसका साथ देना शुरू कर दिया हो |
जैसे जैसे ट्रैन दूर जा रही थी वह अपने परिवार से भी दूर जा रहा था | धीरे धीरे यादे धूमिल होने लगी और रात भी बढ़ने लगी थी|
जैसे तैसे उसने आधी रात का समय तो निकाल लिया लेकिन जैसे जैसे रात बड़ रही थी मानो उसका शरीर जवाब देने लगा हो | बीच बीच में नींद के झपकियाँ डर को थोड़ा बडा देती |
उसे लगने लगता की अगर डॉक्यूमेंट का थैला कोई ले गया तो वह अपनी जॉब कैसे करेगा इसलिये बड़ी मुश्किल से अपनी नींद को कण्ट्रोल करने लिए मुँह पर ठन्डे पानी के छींटे कई बार मारे |
जब तक ठन्डे पानी का असर था तब तक नींद दूर थी पर वापिस झपकियो ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया |
अब एक झपकी करीब एक घंटे की नींद में बदल जाती पर अभी तक उसने डॉक्यूमेंटस का थैला अपने हाथ में इस प्रकार से फँसा रखा था जैसे अगर किसी ने लेने की कोशीश की तो उसे पता चल जाएगा |
काफी देर होने के बाद उसे एक बड़ी ग़हरी नींद आ गयी और जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी |
जैसे ही नींद खुली उसने जल्दीबाजी में अपने थैले को सँभाला जिसमे डाक्यूमेंट्स रखे थे | पर सब कुछ ठीक था तब जाकर उसे तस्सली मिली |
अभी तक उसका ट्रैन यात्रा का संघर्ष खत्म नही हुआ था | जैसे जैसे सुबह होती गयी ट्रैन के जनरल डिब्बे की भीड़ भी बढ़ने लगी |
भीड़ इतनी ज्यादा थी की किसी के धक्के से वह बाथरूम के पास पहुँच गया |
अब उसे लगा की अगर उसने डाक्यूमेंट्स का थैला सही जगह नहीं रखा तो कही खो ना जाए | बड़ी हिम्मत करके उसने थैले को ट्रैन में खूंटी पे टांक दिया और सब कुछ भगवान् के ऊपर छोड़ दिया | वह जाकर बाथरूम के पास वाली गैलरी में जाकर बैठ गया |
दिन काफी निकल गया था पेट में भी काफी भूख लग रही थी | माँ के द्वारा भेजे गए परांठे खाकर उसने अपना दिन गुजारा पर रात में नींद नहीं होने के कारण झपकियाँ अपना रूप दिखा रही थी |
भगवान भरोशे अब वह बेफिक्र होकर सो गया और जैसे ही सुबह नींद खुली तो उसे अपने सारे सामन सुरक्षित मिले |
थोड़ी ही देर में वह अपने गंतव्य पे पहुंच चुका था |
कौशल ने यह संघर्ष भरी यात्रा करके मानो एक जीत हाशिल कर ली हो |
ट्रैन से सकुशल उतरकर अब उसने चैन की सांस ली |
मोरल
कई बार जीवन में बड़े बड़े तूफ़ान आते रहते है बहुत संघर्ष भी करना पड़ता है | पर एक अच्छे जीवन की शुरुआत के लिए ये सब तुच्छ मात्र है | वक्त हर बार धैर्य की परीक्षा लेता रहता है जो इसमें पास हो जाता है वह जीवन में कभी हारता नहीं है |
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