संविधान निर्माता ; महान विचारक

संविधान

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संविधान सभा में गुंजी ,समानता की वाणी थी।
न्याय ,स्वतंत्रता को लेकर साथ।
एक नई अलख ,जगानी थी।
तोड़कर पुराने बंधनो को, फिर से
मार्ग नया बतलाना था।
बिखरे हुए समाज में फिर से ,
नारी शक्ति बनाना था।
आज कहानी विरासत की ,एक नयी प्रेरणा देती है।
बंधुत्व का पाठ ,समाज को फिर से , सिखलाती है।
कहानी सरल नहीं ,कठिन थी।
जीवन में उनके।
संघर्ष से भरपूर, गाथा थी।
समाज के लिए ,जो खड़ा था।
हर बार , फिर लड़ा था।
विचारो की सच्चाई उनके ,हमे दिखलाती है।
कई वर्षो के बाद भी ,आज समान , सबको बनाती है।
धन्य है,आज वो कहानी ,इतिहास के पन्नो पे।
याद फिर हर बार, दिलाती है।
आसान नहीं ,मुश्किल दौर था ,पग पग।
संविधान लिखना , उस दौर में जग भर।
भारत के हर कोने को ,
एक रूप में जो, संजोना था।
अजर ,अमर रूप है ,हर बार रहेगा।
संसार में जब तक ,ये अस्तित्व रहेगा

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