पुरानी चपल्लो की चमक :आजादी के दिन की खुशी।

आजादी

आजादी का दिन

आजादी

बात उस समय की थी जब मेकुल सातवीं कक्षा में पढ़ता था। मेकुल अपने परिवार में तीन भाई भहनो में सबसे छोटा था। पापा मजदूरी करके जीवन गुजर बसर करते थे ,माँ घर के काम के अलावा समय समय पे सरकारी योजनाओ में काम करके घर में सहयोग करती थी।
मेकुल पढ़ने में थोड़ा होशियार था ,इसलिए परिवार के सब सदस्य ही उससे ज्यादा प्यार करते थे। घर में सबसे छोटा होने के कारण मेकुल को अपने बड़े भाईयो के पुराने कपडे पहनने को मिलते थे ,नए कपडे तो उसे कई वर्षो में कभी कभी ही नसीब होते थे। समय इसी प्रकार गुजरता जा रहा था ,आज मेकुल जैसे ही स्कूल से आया तब से कुछ उदास ही लग रहा था।
ऐसा लग रहा था जैसे उसे अंदर ही अंदर कुछ खाये जा रहा है।

माँ से रहा नहीं गया और उसने मेकुल को पूछ ही लिया। माँ -क्या हुआ बेटा आज बहुत उदास लग रहा है। कुछ बात है तो बतावो।
मेकुल कुछ बोल पाता ,उससे पहले ही आंखों से आँशु गिर पड़े ,भारी आवाज में सिसकिया भरते हुए मेकुल ने कहा।
मेकुल -माँ कल देश की आजादी का दिन है और सब बच्चे नए नए जुत्ते और ड्रेस पहनकर स्कूल जायेंगे । मेरे पास तो जुत्ते भी नहीं है ,अब तो चपल्ले भी बहुत पुरानी हो गयी है। मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा ,जिस दिन खुशी होनी चाहिए उसी दिन दुःख हो रहा है।
माँ ये सब सुनकर पहले तो थोड़ी उदास हुई ,पर अगले ही पल हिम्मत बांधकर मेकुल को गले लगाया।
माँ -ऐसे हिम्मत नहीं हारते बेटा ,क्या हुआ जुते नहीं है तो चप्पलें भी कोई जुत्तो से कम नहीं है ,बस में बतावु वैसा कर लेना।
ये सब सुनकर मेकुल में थोड़ी हिम्मत आयी और उसने अपनी मम्मी की बात सुनकर पास ही रखी चपल्लो को उठाकर ,घर में रखी थैली से शर्फ पाऊडर लेकर पानी की टंकी के पास जा पहुंचा।
मेकुल ने शरफ़ पाउडर से उन चपलो को धोना शुरू किया ,थोड़ी देर में चपल्ले पहले से नयी लगने लगी। अब मेकुल में और हिम्मत आ गयी, उसने पास ही पड़े ब्रश से चपल्लो को जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया और चपले पहले से कई गुना नयी दिखने लग गयी।
मानो अब मेकुल की खुशी का ठिकाना ना रहा हो ,पानी से अच्छी तरह धोकर मेकुल ने चपल्लो को सुखाने के लिए रख दिया और खाना खाकर खुशी मन से सो गया।
सुबह जैसे ही मेकुल की आँखे खुली तो वह दौड़कर चपल्लो के पास जा पहुंचा।
चपल्ले , ना केवल सुख गयी थी बल्कि उनकी चमक पहले से भी ज्यादा बढ़ गयी थी।
माँ दूर से ही मेकुल की खुशी को देख रही थी और मन मन खुश हो रही थी।
जैसे सब बच्चे जाने के लिए तैयार हो रहे थे मेकुल भी बिना हिचकिचाहट के तैयार हो गया। आज मेकुल की चपले ड्रेस से भी ज्यादा नयी लग रही थी और उसका कॉन्फिडेंस भी बड़ा हुआ था।
जैसे जैसे मेकुल अपने कदम बढ़ाये जा रहा था ,उसे अलग ही अहसास हो रहा था।
स्कूल पहुंचकर मेकुल ने हिम्मत के साथ फिजिकल ट्रेनिंग में भाग लिया और खुशी खुशी आजादी का दिन भरपूर एन्जॉय किया।
आज भी मेकुल उन दिनों को याद करके बड़ा ही गर्व महसूस करता है।

कहानी की सीख


मेकुल के जीवन से हमें सीख मिलती है की कई बार जीवन की परिस्थितिया हमारे मुताबिक़ नहीं होती है ,पर ये जरुरी है की हमारे माता पिता ने हमें किस दिशा में शिक्षा दी है। जैसे मेकुल की माँ ने बड़ी ही समझदारी से मेकुल को हिम्मत बंधाई ,हमें भी चाहिए की विपरीत परिस्थिति में अपने चाहने वालो को हिम्मत दे।
बच्चो को भी अपने बड़ो की बात मानकर आगे बड़ जाना चाहिए। माँ बाप अपने बच्चो के लिए अपने हिसाब से अच्छा ही करने की कोशिश करते है। अपने बच्चो की सफलता ही उनके लिए सब कुछ होता है।
हमें भी उन सब बातो को रेस्पेक्ट देना चाहिए ,आने वाले समय में परिस्थितिया जरूर बदल जाती है बस हमारा जीवन सही दिशा में चल रहा हो |

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