
कर्म : जीवन में सब कुछ प्राप्त करने का सबसे सीधा रास्ता
कर्म

हमें बचपन से सिखाया जाता है की हमें जीवन में निरंतर सफल होने के लिए बिना रुके अपने कर्म पे ध्यान देना चाहिए। आज का कर्म ही हमारा आने वाला भविष्य तय करता है और जो कर्म हमने पिछली बार किये है उन से हम आज में जी रहे है।
आज का सुख या दुःख ये तय करता है की हमने अपने आप को किस कर्म में, कितनी कर्मनिष्ठा से जिया है। इस बात का भी जरूर ही ,हमें ये ध्यान रखना जरुरी है |
जो ज्ञान और विचार हमें अपने पूर्वजो से मिले है ,उस ज्ञान को निरंतर आगे लेकर चलना चाहिए,हो सकता कई बार उसकी वैल्यू कम लगने लगे लेकिन ,एक समय पे उसकी अच्छी वैल्यू होती ही है।
एक अच्छा विचार ,”कई जिंदगियों को अच्छा बनाये रखने का जिम्मा रखता है। इसलिए हमें कर्म करने से पहले उसके परिणाम की चिंता करने में अपना समय व्यर्थ में बर्बाद नहीं करना चाहिए |”
-प्रेम
संविधान निर्माता ; महान विचारक
संविधान

संविधान सभा में गुंजी ,समानता की वाणी थी।
न्याय ,स्वतंत्रता को लेकर साथ।
एक नई अलख ,जगानी थी।
तोड़कर पुराने बंधनो को, फिर से
मार्ग नया बतलाना था।
बिखरे हुए समाज में फिर से ,
नारी शक्ति बनाना था।
आज कहानी विरासत की ,एक नयी प्रेरणा देती है।
बंधुत्व का पाठ ,समाज को फिर से , सिखलाती है।
कहानी सरल नहीं ,कठिन थी।
जीवन में उनके।
संघर्ष से भरपूर, गाथा थी।
समाज के लिए ,जो खड़ा था।
हर बार , फिर लड़ा था।
विचारो की सच्चाई उनके ,हमे दिखलाती है।
कई वर्षो के बाद भी ,आज समान , सबको बनाती है।
धन्य है,आज वो कहानी ,इतिहास के पन्नो पे।
याद फिर हर बार, दिलाती है।
आसान नहीं ,मुश्किल दौर था ,पग पग।
संविधान लिखना , उस दौर में जग भर।
भारत के हर कोने को ,
एक रूप में जो, संजोना था।
अजर ,अमर रूप है ,हर बार रहेगा।
संसार में जब तक ,ये अस्तित्व रहेगा
-प्रेम
संघर्ष :एक अनचाहा अवसर
संघर्ष भरा जीवन

संघर्ष हर किसी की लाइफ में आता है ,कभी किसी की लाइफ में कम आता है ,किसी की लाइफ में ज्यादा आता है। यहाँ जरूरी नही की ,जो आज ख़ुशी से जी रहा है ,तो उसने कभी संघर्ष का सामना किया ही नहीं ,निश्चय ही कोई ऐसा इतिहास का पन्ना न लिखा होगा, जिसपर बिना संघर्ष के कुछ मिला होगा।
सही मायने में कहु तो संघर्ष भरे जीवन से ,अगर निकलना चाहते है तो हमारे जीवन में आ रहे संघर्ष को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। जैसे हर दिन के बाद रात आती है ,एक मौसम के बाद दुसरा मौसम शुरू हो जाता है ,उसी तरह संघर्ष भी कोई निश्चित समय के लिए नहीं होता। आज का संघर्ष ही , कल का भविष्य सुनिश्चित करता है।
बड़ा संघर्ष,बड़ी जीत
जितना बड़ा संघर्ष होता है ,जीत भी उतनी ही बड़ी होती है और उसको महसूस करने का आनंद भी उतना ही ज्यादा होता है।
हमें कुछ बात निश्चित ही ध्यान रखनी है की आज का दिन संघर्ष का है और हम बिना किसी प्रयास के उसी संघर्ष भरे जीवन में जी रहे है तो कुछ बदलने वाला नहीं है।
जैसे चुम्बक लोहे को खींचती है वैसे ही संघर्ष वाला जीवन भी आपकी सफलता को खींचने की कोशिश में लगा रहता है ,बस हमें करना यह है की उसी संघर्ष को अवसर बना कर सही दिशा में मेहनत करते जाना है|
कुछ पंक्तियों के माध्यम से बताना चाहूंगा
रुकना नहीं ,डरना नहीं।
एक पहर पे आकर, हटना नहीं।
संघर्ष भरे जीवन ,में भी टूटना नही।
विश्वास रखना ,जमाने के इतिहास पे।
समय का चक्र ,फिर वही दोहराता है।
जीवन में फिर ,एक नया सवेरा लाता है।
घनघोर अँधेरे के बाद भी ,उजाला आता है।
संघर्ष नहीं अवसर है, आगे बढ़ने का।
हिम्मत के पथ पे , निडर चलने का।
रुककर नहीं, चलकर जीना है।
सफलता की गाथा,फिर बुनना है।
दौर फिर ,नया आएगा।
वही इतिहास ,दोहराएगा।
जीवन को तेरे,फिर खिलायेगा।
रुकना नहीं ,डरना नहीं।
एक पहर पे आकर , हटना नहीं।
मेहनत की बूंदो से, सींचना है।
हर कदम को ,मजबूत रखना है।
लाख तूफ़ान आएंगे , गिराने, को तुम्हे !
संघर्ष में , हर बार हिलाने को।
पत्थर के जैसे ,जड़ कर देना।
अपने कठोर इरादों को।
रुकना नहीं, डरना नहीं।
एक पहर पे आकर , हटना नहीं।
हर बार,नए रूप आएंगे।
कमजोर ,तुम्हे कर जाएंगे।
बस ;मन में, एक आश रखना।
लक्ष्य पे ,अडिग डटना।
सुख के दिन , फिर आएंगे।
जीवन रोशन,कर जाएंगे।
रुकना नहीं ,डरना नहीं।
एक पहर पे। आकर हटना नहीं।
-प्रेम
ठिठुरती सर्दिया : जकड़ती अंगुलिया

ठिठुरती सर्दिया
लम्बी सी चुपी , लिए हुए आती है
बहती पवन की , धारा
सुन्न बदन कर जाती है।
ओढ़े हुए कम्बल की गरमी ,से उठकर
स्कूल जाने का मन रहता है।
देखकर कोहरे से बादल ,
तन बैचेन हो लेता है।
बर्फ जैसे पानी को छूते ही ,
ठिठुरन से डर लेता है
पानी के छींटे भर से ,अंग सुन्न हो लेता है।
भागते हुए पेरो के कदम।
ले जाते ,दूर आंग के आँचल में।
सेंककर फिर बदन आग से
हो जाता तैयार है।
ठिठुरन भरी हवा का झोंका
खड़ा कर देता ,रोम रोम छूकर
दे जाता कंपकपी पल भर में
हाथो में लिए किताबो का ढेर
रुक रुक कर चलता रहता।
ठिठुरन अंगिआय में फिर ,
शीत अधर कर जाता
अंगुलिया। पैरो की सुन्न पड़ीं है कब से
चपल्लो से बाहर देखकर
आस लगाए रहती है
ढकने को उन्हें ,बार बार कहती है
दर्द नहीं कम होता तब भी
ठिठुरकर, फिर छुप लेती
रुक रूक ,आग जलाकर फिर
अंगुलिया सेंक लेता है।
बिना रुके फिर से कदम ,आगे बढ़ाये चलता है।
हवा के तेज झोंको से फिर
वस्त्र संभाले रखता है
आस लगी रहती ,तन को ठिठुरन
गर्म करने को बेबस।
मन बड़ा उदास था ,कुछ नहीं कहता
सर्दी के अनगिनत प्रहार से ,डरकर सहम लेता
चंचल हो लेता ,खुद निडर हो लेता
देखकर तन वस्त्र को ,पास खड़ा कर लेता
सर्दी को फिर से दूर ,भगाने को डंटा रहता
दौड़ -दौड़कर फिर से ,रुक जाता है।
आग जलाकर हाथो को फिर सहलाता है।
सोचकर फिर शब्द प्रहार ,
ये मन नहीं कमजोर पड़ने वाला।
तेज ठिठुरन के प्रहार से नहीं ,डरने वाला
आज नहीं तन पे वस्त्र गर्म
कल आ जायेगा फिर नरम
संघर्ष, कपकंपी का दौर लिखता हूँ
फिर से मन को बहलाता हूँ।
पहुंचकर स्कूल के दरवाजे पे ,
सहज अपने को करता हूँ।
अकड़ी हुई अंगुलियों से फिर
कहानी लिखता हूँ।
संभल के शब्दों की अटपटाहट ,
फिर से सटीक करता हूँ।
आज फिर बचपन में ,
ठिठुरन ,की कहानी लिखता हूँ।
-Prem
विचार :नियंत्रित करने का सबसे आसान तरीका |
विचार की शक्ति

कई बार विचार की चंचलता से ग्रसित इंसान अपनों आपको असहाय महसूस करने लग जाता और कुंठा से ग्रस्त होने लगता है |अलग अलग दिशा में चलने वाले विचार ही मनुष्य को हमेशा विचलित करते है |
इस प्रकार की अस्थिरता से ग्रसित व्यक्ति को शांत करने का बस एक ही तरीका है “उसे यह विश्वास दिला दो की वह वास्तव में है क्या ?”
जब मनुष्य अपने आप से रूबरू होने लग जाता है ,तब अनियंत्रित विचारों को भी अपने नियंत्रण में लाने लग जाता है |जीवन की सच्चाई बस इतनी है की विचार कितनी शुद्धता लिए हुए है |
-प्रेम
पापा :वरदान हर ख़ुशी का |
पापा

सब कुछ लुटा भी दू तो, कम लगता है मुझे ||
सबक जिंदगी से मिलता है ,मुझे |
हर बलिदान ही तेरी दौलत है ,पापा ||
याद करता हूँ , तो डर लगता है मुझे|
आसान नहीं मुश्किल था ,सफर जिंदगी का|
एक आसरा होता है, पापा हर ख़ुशी का|
याद आता है ,लड़कपन बचपन का|
कभी ख़ुशी ,कभी आंखे नम होने का|
तेरा साहस ही मेरी ताकत है !पापा|
हर बार देता हिम्मत है , पापा
….प्रेम
हार जीत का खेल :हिम्मत एक वरदान
कहा जाता है की जो हारकर भी जीत जाता है ,असली मायने में वही’बाजीगर’ होता है |
वरना ‘प्लेरिंग’ में खड़े होने की हिम्मत हर किसी के पास नहीं होती |

शुद्ध विचार और घोर निराशा में डूबा हुआ इंसान भी कभी कभी उच्च विचारों के शिखर पे पहुँच जाता है |
बेशक उसने ये सब निरन्तरता में रखा हो |
वैचारिक संसार से ‘भावपूर्ण शब्दों ‘का चयन करना उतना ही मुश्किल होता है |
जितना पानी से ‘वायु के कणों’ को |
जिसकी जिन्दगी में जीत शब्द की कमी रह जाती है, वह अपना जीवन नीरश बिताने को मजबूर हो जाता है |
-प्रेम
मेरे विचार :अनंत प्रवाह |
“मुझे नहीं पता की मन को नियंत्रित करके कैसे अपने बेहतर विचार प्रकट कर पाता हूँ |
मेरी खामोश जिंदगी का ये एक ऐसा प्रवाह है, जो एक बार आने के बाद सहज ही विचारो की धारा के रूप में बहता है ,यह अनवरत धारा मन को जो खुशी देती है, उसे शायद ही में शब्दों के माध्यम से बता पाऊं |”

“किसी की सच्चे मन से की गयी सेवा कई वर्षो तक अपने आपको संतोष प्रदान करती रहती है ,जो अन्यत्र कही भी नहीं मिल पाती |
अगर कोई मुझसे पूछे की जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है ? तो बेशक मुझे ये बताने में बिलकुल हिचकिचाहट नहीं होती,
संतोष ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है ,उससे परे कुछ भी नहीं |“
“दुनिया में अगर कोई रियल ताकत है तो वह केवल बुद्धिमता ही है, जो अन्य सब ताकत से कई गुना ज्यादा होती है | छोटे से छोटा बुद्धिमान भी बड़े से बड़े बलवान को हराने की ताकत रखता है | इसलिए बलवान बनने से बेहतर है, बुद्धिमान बनो |
बेशक इसको एक सीमा तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता |”